आस्था और परंपरा का पर्व-मजूघोषेश्वर महादेव मंजीन कांडा मेले में भक्तों ने धूमधाम से किया भगवान शिव और गौरा देवी का स्वागत

हिमालय टाइम्सगबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखने वाला जनपद पौड़ी गढ़वाल की पट्टी इडवालस्यूं स्थित देहलचौरी में पौराणिक मंजूघोषेश्वर महादेव मेला बुधवार से श्रीनगर

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गबर सिंह भण्डारी

श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखने वाला जनपद पौड़ी गढ़वाल की पट्टी इडवालस्यूं स्थित देहलचौरी में पौराणिक मंजूघोषेश्वर महादेव मेला बुधवार से श्रीनगर के समीप कांडा गांव देहलचौरी में विधि-विधानपूर्वक आरंभ हुआ। दीपावली के दो दिन बाद आयोजित होने वाला यह दो दिवसीय (छोटा और बढ़ा कांडा) मेला आस्था,भक्ति और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित कांडा गांव में हर वर्ष की भांति इस बार भी छोटा कांडा मेला 22 अक्टूबर और बड़ा कांडा मेला 23 अक्टूबर का आयोजन किया जा रहा है। यहां स्थित मंजूघोषेश्वर महादेव,महाकाली और मंजूदेवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगीं रहीं। दूर-दराज़ के गांवों में जनासू बाड़ा,अरकनी,नौडेटा सहित लगभग 25 क्षेत्रों से श्रद्धालु अपने-अपने निशान लेकर पहुंचे। मंजीन कांडा सेवा समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद भट्ट ने बताया कि मेले को लेकर सभी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थीं। बुधवार प्रातः साढ़े सात बजे भगवान मंजूघोषेश्वर महादेव के कपाट विधिवत खोले गए,जो परंपरा के अनुसार कांडा गांव से निशान आने के बाद ही खोले जाते हैं। कपाट खुलने के साथ ही मंदिर परिसर में हर-हर महादेव और जय गौरा माता के जयघोष गूंज उठे। कपाट खोलने के उपरांत मंदिर के मुख्य पुजारी विमल भट्ट के सान्निध्य में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसी दौरान लगभग दोपहर 2 बजे भक्तों की अपार श्रद्धा के बीच आदिशक्ति मां गौरा देवी की डोली अपने मायके कांडा से निकलकर ससुराल मंजूघोषेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। परंपरा के अनुसार मां गौरा देवी एक माह तक यहां प्रवास करेंगीं,इसके पश्चात इगास पर्व के अवसर पर पुनः अपने मायके कांडा लौटेंगी। मेले में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद दिखाई दिया। कोतवाली श्रीनगर के प्रभारी निरीक्षक जयपाल सिंह नेगी ने बताया कि मेले की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए पीएसी प्लाटून,पुलिस जवान,महिला पुलिस कर्मी और यातायात पुलिस को तैनात किया गया है। मंजूघोष मेला न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है,बल्कि यह गढ़वाली संस्कृति,परंपरा और लोकसंगीत की जीवंत झलक भी प्रस्तुत करता है। ढोल-दमाऊं की थाप,पारंपरिक नृत्य,भक्ति गीतों और जय मंजूघोष महादेव के गगनभेदी नारों से सम्पूर्ण कांडा क्षेत्र भक्ति रस में डूबा हुआ है। देवभूमि की लोकधारा में समाहित यह मंजीन कांडा मेला आज भी पर्वतीय संस्कृति की आत्मा को जीवित रखे हुए है जहा गांव,देवता और जनता एक भाव से आस्था का उत्सव मनाते हैं।

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