
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल।देवभूमि उत्तराखंड अपने पर्वों,लोक परंपराओं और सामाजिक सौहार्द की जीवंत धरोहर के लिए जानी जाती है। इन्हीं अमूल्य परंपराओं को जीवित रखने का अनुपम उदाहरण आगामी 20 अक्टूबर छोटी बग्वाली दीपावली के अवसर पर देखने को मिलेगा,जब वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र गौड़ के रानीहाट जगत विहार स्थित निवास पर हर वर्ष की भांति इस बार भी भव्य भैलू दीपावली महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित पारंपरिक भैलू खेल दीपावली पर्व का अभिन्न अंग माना जाता है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है,बल्कि सामाजिक एकता,आपसी सौहार्द और हास्य-व्यंग्य की लोक परंपरा का प्रतीक भी है। इस आयोजन का उद्देश्य उत्तराखंड की लोक संस्कृति को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना है। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र गौड़ ने बताया कि हम यह पारंपरिक दीपावली और भैलू कार्यक्रम दशकों से मनाते आ रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से हमारा प्रयास है कि आने वाली पीढ़ियां भी गढ़वाल की इस सांस्कृतिक आत्मा को महसूस करें और इसे आगे बढ़ाएं। उन्होंने क्षेत्रवासियों,संस्कृति प्रेमियों और परंपरा के सम्मान कर्ताओं से आग्रह किया कि वे परिवार सहित इस आयोजन में सम्मिलित हों और दीपावली की इस पावन रात को गढ़वाली लोक संस्कृति की सुगंध से सराबोर करें। कार्यक्रम का शुभारंभ रात्रि 8 बजे भैलू खेल के साथ होगा,जिसमें क्षेत्र के अनेक संस्कृति प्रेमी,ग्रामीणजन और भैलू के शौकीन प्रतिभागी शामिल होंगे। आयोजन समिति की ओर से चाय,पूड़ी,पकोड़ी और मिठाई की विशेष व्यवस्था की गई है ताकि यह सांस्कृतिक मिलन और भी उल्लासमय बन सके। यह भैलू दीपावली महोत्सव केवल एक आयोजन नहीं,बल्कि वह गढ़वाली आत्मा का उत्सव है जो अपने लोक गीतों,लोक खेलों और आत्मीयता से पर्वों को जीवन से भर देती है। देवभूमि उत्तराखंड में दशकों से मनाया जा रहा यह पर्व आज भी गढ़वाल की लोक-संस्कृति,हंसी-ठिठोली और भाईचारे की अमर परंपरा को संजोए हुए है।