
हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर में आयोजित सहकारिता मेला आज ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर भारत की भावना से सराबोर नजर आया। मुख्य अतिथि वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यदि देश की आर्थिकी को सशक्त बनाना है,तो सबसे पहले गांव की आर्थिकी को मजबूत करना होगा। मंत्री ने कहा कि सहकारिता ही वह माध्यम है जो किसान,मजदूर,महिला और युवा-सभी को एक सूत्र में बांधकर आर्थिक क्रांति ला सकती है। उन्होंने सहकारिता मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि 500 नाली भूमि को क्लस्टर बनाकर उपयोग,बिना ब्याज ऋण योजना,रेहड़ी-पटरी वालों को तीन दिन तक प्रतिदिन ₹5000 की आर्थिक सहायता,और महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य,ये सब योजनाएं उत्तराखंड के ग्रामीण ढांचे को नया जीवन देंगी। उन्होंने कहा कि आज पलायन रोकने के लिए सबसे बड़ा हथियार सहकारिता है,जब गांवों में रोजगार के अवसर और उत्पादन बढ़ेगा,तब पहाड़ का नौजवान अपने गांव को नहीं छोड़ेगा। इस अवसर पर श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता अब एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों,स्वयं सहायता समूहों और युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए लगातार कार्य कर रही है। डॉ.रावत ने कहा कि आगामी वर्षों में उत्तराखंड के हर विकासखंड में सहकारिता आधारित लघु उद्योग और महिला उद्यमिता के केंद्र स्थापित किए जाएंगे,ताकि हर गांव में आजीविका के अवसर बढ़ें और पलायन पर पूर्ण विराम लगे। कार्यक्रम में इफको के निदेशक उमेश त्रिपाठी,अपर निबंधक आनंद ए.डी.शुक्ला,निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष यूसीएफ मातवर सिंह रावत,निवर्तमान अध्यक्ष जिला सहकारी संघ नरेंद्र सिंह रावत,पूर्व उपाध्यक्ष राज्य सहकारिता संघ महावीर प्रसाद कुकरेती,पूर्व अध्यक्ष गढ़वाल मंडल बहुउद्देशीय सहकारी समिति संपत सिंह रावत,ब्लाक प्रमुख खिर्सू अनिल भण्डारी,जिला महामंत्री भाजपा गणेश भट्ट,श्रीनगर मंडल अध्यक्ष विनय घिल्डियाल,उपनिबंधक सहकारिता पौड़ी पान सिंह राणा तथा महाप्रबंधक जिला सहकारी बैंक पौड़ी संजय रावत सहित अनेक गणमान्यजन मंचासीन रहे। मेले का मुख्य आकर्षण रहा महिला मंगल दलों का लोक-सांस्कृतिक प्रदर्शन। थलीसैंण,कपरोली और आसपास के क्षेत्रों से आई महिलाओं ने पारंपरिक गीत-नृत्य प्रस्तुत कर मेले को उत्तराखंडी रंग में रंग दिया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मेले के माध्यम से ग्रामीण उत्पादों,महिला समूहों और सहकारी समितियों को अपने कार्य का प्रदर्शन करने का अवसर मिला है,जिससे स्थानीय उत्पादों को बाजार से सीधा जुड़ाव मिलेगा। यह सहकारिता मेला केवल एक आयोजन नहीं,बल्कि ग्रामीण नवजागरण की नई शुरुआत है। जिस दिन गांव आत्मनिर्भर बन जाएंगे,उस दिन पलायन शब्द इतिहास बन जाएगा। सहकारिता की यह लहर उत्तराखंड के हर घर में समृद्धि की नई कहानी लिखेगी।