ग्रामोत्थान परियोजना से संवर गयी गायत्री पटवाल की जिंदगी

हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी जनपद के विकासखंड कल्जीखाल के ग्राम घंडियाल की गायत्री पटवाल आज क्षेत्र की सफल उद्यमी महिला के रूप में जानी जाती हैं। कभी घर-गृहस्थी और खेती

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हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी

पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी जनपद के विकासखंड कल्जीखाल के ग्राम घंडियाल की गायत्री पटवाल आज क्षेत्र की सफल उद्यमी महिला के रूप में जानी जाती हैं। कभी घर-गृहस्थी और खेती तक सीमित रही गायत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूरदर्शी नेतृत्व में संचालित ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गयी। पौड़ी जिले के विकासखण्ड कल्जीखाल के ग्राम घंडियाल की निवासी गायत्री पटवाल राजराजेश्वरी समूह की सदस्य हैं,जो बुरांश स्वायत्त सहकारिता से जुड़ा है। अगस्त 2024 में इस सहकारिता को ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत अंगीकृत किया गया। गायत्री पहले घर के कार्य और खेती तक ही सीमित थी। उनके पास एक गाय थी और वे कृषि कार्य के साथ परिवार का भरण-पोषण करती थी। वर्ष 2023 में उन्होंने टैंट एवं कैटरिंग व्यवसाय शुरू किया,लेकिन सीमित संसाधनों के चलते बड़ा विस्तार नहीं कर पा रही थी। ग्रामोत्थान परियोजना के तहत गायत्री का चयन व्यक्तिगत उद्यम सर्वेक्षण में हुआ। परियोजना टीम द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद उन्हें 75 हजार की परियोजना सहायता राशि प्रदान की गयी। इसके साथ 01 लाख का बैंक ऋण और 3 लाख 18 हजार 350 का स्वयं का अंशदान जोड़कर उनके उद्यम की कुल लागत 4 लाख 93 हजार 350 हुई। गायत्री पटवाल बताती हैं कि अब उनके टैंट एवं कैटरिंग व्यवसाय से हर माह करीब 1 लाख की आय होती है,जिसमें से 30 से 40 हजार का शुद्ध लाभ अर्जित होता है। इससे उनका परिवार अब आत्मनिर्भर हो चुका है। गायत्री बताती हैं कि पहले आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। ग्रामोत्थान परियोजना ने मुझे आगे बढ़ने का अवसर दिया। अब मेरा कारोबार अच्छा चल रहा है और मैं अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही हूं। इसके लिए वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,जिला प्रशासन और ग्रामोत्थान परियोजना टीम का हृदय से धन्यवाद करती हैं। ग्रामोत्थान परियोजना प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने बताया कि शुरुआती दिनों में गायत्री को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 5 लाख का टेंट सामग्री तो खरीद ली, पर ग्राहकी कम होने से व्यापार ठप पड़ने लगा। समय-समय पर ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा दिए गए प्रशिक्षण और सीएलएफ की महिलाओं के सहयोग से उन्होंने अपने व्यवसाय का प्रचार-प्रसार किया। धीरे-धीरे बुकिंग बढ़ने लगी और व्यापार ने रफ्तार पकड़ ली। उन्होंने बताया कि गायत्री पटवाल जैसी महिलाओं की सफलता ही परियोजना का वास्तविक उद्देश्य है। बताया कि हमारा लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है,ताकि वे आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हों। गायत्री आज अपने क्षेत्र की रोल मॉडल हैं।

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