
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीक्षेत्र के अंतर्गत कटकेश्वर धाम,घस्यिमहादेव में चल रही शिव महापुराण कथा में रविवार का दिवस अध्यात्म,श्रद्धा और भक्ति रस से ओतप्रोत रहा। पवित्र अनुष्ठान के मुख्य यजमान रमेश गिरि,सरोजिनी गिरि,महंत महेश गिरि,विनीत गिरि,हरीश गिरि,संजय गिरि एवं समस्त भक्तजनों ने कथा श्रवण कर पुण्य अर्जित किया। व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य मधुसूदन घिल्डियाल महाराज ने अपने अमृतमय वचनों से भक्तों को धर्म,अध्यात्म और सनातन संस्कृति का गूढ़ संदेश दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा सत्य स्वरूप हैं, और जब जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है,तब भगवान स्वयं अवतरित होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारी हिन्दू संस्कृति विश्व की सबसे विराट संस्कृति है,जो जीवन के प्रत्येक आयाम को मर्यादा और आचरण से जोड़ती है। धर्म धारणात इति आहु अर्थात जो व्यक्ति धर्म को धारण करता है,वही जीवन में मर्यादा,संयम और सच्चे अर्थों में मानवता का पालन करता है। कथा के दौरान भक्तों ने भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पावन लीलाओं का रसपान किया। पूरे वातावरण में हर हर महादेव के जयघोष से धाम गूंज उठा। इस अवसर पर महंत नागेश्वर धाम नितिन पुरी की विशेष उपस्थिति रही,जिन्होंने आचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया और भक्तों से धर्म और सेवा की भावना से जुड़ने का आह्वान किया। कथा स्थल पर चारों ओर दीप सज्जा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। उपस्थित श्रद्धालुओं में विजय रावल,ललित मोहन चमोला,पूरण सिंह धनाई,कुंवर सिंह धनाई,मथुरा प्रसाद पुरी सहित अनेक भक्तगणों ने भाग लिया। आचार्य मधुसूदन घिल्डियाल ने कहा धर्म केवल पूजा या अनुष्ठान का विषय नहीं,बल्कि जीवन जीने की कला है। जो धर्म को धारण करता है,वही सच्चा मनुष्य कहलाता है। भक्ति,साधना और श्रद्धा से सराबोर यह पवित्र आयोजन आने वाले दिनों में भी भक्तों को शिवत्व के दिव्य मार्ग पर अग्रसर करने का संदेश देता रहेगा।