
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड में गोवर्धन पूजा का पर्व इस वर्ष भी परंपरा,श्रद्धा और सेवा भाव के अद्भुत संगम के रूप में मनाया गया। अरण्यक जन सेवा संस्था द्वारा हर वर्ष की भांति इस बार भी ग्राम बागी तहसील देवप्रयाग स्थित गौशाला में गोमाता पूजन और सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा संचालित इस गौशाला में वर्तमान में लगभग 66 निराश्रित गौवशों का पालन-पोषण किया जा रहा है। इस पावन अवसर पर संस्था उपाध्यक्ष दीपक,सचिव इंद्र दत्त रतूड़ी,गौसेवक अनिल बाबा,संगीता देवी,पूजा देवी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर गौमाताओं के पैर धुलाकर,तिलक लगाकर,पुष्प अर्पित कर,गुड़ व पिंडा खिलाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मुंबई निवासी जितेन्द्र शर्मा और अंजना शर्मा द्वारा गौशाला में गुड़ और हरा चारा प्रदान किया गया,जो सेवा और दान की उत्तम भावना का प्रतीक बना। गौपूजन के उपरांत उपस्थित श्रद्धालुओं ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं,बल्कि गौसेवा और प्रकृति संरक्षण का गूढ़ संदेश देने वाला पर्व है। श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार को समाप्त कर गोवर्धन पर्वत की आराधना करने का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना द्वापर युग में था। गौमाता सनातन धर्म की आधारशिला,पोषण और करुणा का प्रतीक हैं। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि गावो विश्वस्य मातर,अर्थात् गौमाता संपूर्ण सृष्टि की माता हैं। अतः उनका संरक्षण व सेवा प्रत्येक सनातनी का धर्म है। अरण्यक जन सेवा संस्था के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार गौसेवा के यज्ञ में आहुति प्रदान करे,तो समाज में सद्भाव,स्वास्थ्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। अंत में गौसेवकों ने सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि इस पावन पर्व पर अपने घरों,आसपास की गौशालाओं या निराश्रित गौवंशों को हरा चारा,गुड़,रोटी और पौष्टिक भोजन अर्पित करें। ऐसा करने से परिवार में सुख-शांति,रोगमुक्ति और समृद्धि आती है। देवभूमि उत्तराखंड की परंपरा में गौसेवा और गोवर्धन पूजा केवल पूजा-पाठ नहीं,बल्कि प्रकृति,जीवों और संस्कृति के संरक्षण का अमूल्य संदेश है-जो आज भी इस हिमालयी भूमि की आत्मा में समाया हुआ है।