
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीक्षेत्र श्रीनगर के कटकेश्वर महादेव के पावन स्थल में चल रही शिव महापुराण कथा के दसवें दिवस का आयोजन अत्यंत भव्य और भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। आचार्य मधुसूदन घिल्डियाल महाराज के सान्निध्य में श्रोताओं ने भगवान शिव की लीलाओं,द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति और उनके दिव्य स्वरूप का श्रवण कर अपने जीवन को धन्य किया। कथा के दौरान आचार्य ने बताया कि भगवान केदारनाथ धाम में विराजमान भगवान शिव स्वयं भू ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हैं। भगवान केदारनाथ के समीप स्थित नर-नारायण पर्वत भगवान विष्णु के अंश हैं,जिन्होंने शिव साधना द्वारा भगवान को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर उन्हें वरदान दिया और सदा के लिए केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान हुए। उन्होंने कहा कि भगवान शिव का पूजन और कथा श्रवण प्रारब्ध रूपी कर्मों का क्षय कर मोक्षदायी फल प्रदान करता है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने से ही जीवन में धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। कथा व्याख्यान के दौरान आचार्य ने भगवान श्रीराम की लंका विजय का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि स्वयं भगवान राम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व भगवान शिव की आराधना की थी। उसी समय भगवान रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और भगवान राम ने शिव पूजन कर विजयश्री अर्जित की। इस पावन प्रसंग के श्रवण से श्रद्धालु भक्ति भाव में सराबोर हो उठे। भजन और हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा धाम गुंजायमान हो उठा। आचार्य घिल्डियाल ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भगवान शिव अपने भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं। जो मनुष्य श्रद्धा और भक्ति से कथा श्रवण करता है,वह जीवन में धर्म की स्थापना करता है और ईश्वर की कृपा का पात्र बनता है। कथा के समापन पर श्रोताओं ने दीप प्रज्वलन कर भगवान शिव से लोक-कल्याण की कामना की। यतो धर्म-ततो जय-जहां धर्म है,वहीं विजय है।