
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र वादियों में एक बार फिर भक्ति,परंपरा और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। प्रदेश के पर्यटन,धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि,अर्थात 23 अक्टूबर (गुरुवार) को भैया दूज के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधानपूर्वक बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के साथ ही मां गंगा की चल विग्रह प्रतिमा को श्रद्धापूर्वक शीतकालीन गद्दीस्थल मुखबा गांव लाया जाएगा,जहां आगामी छह माह तक मां गंगा की पूजा-अर्चना और दर्शन किए जाएंगे। सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा से उत्तराखंड की आस्था,अर्थव्यवस्था और संस्कृति तीनों को बल मिलता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे शीतकालीन यात्रा के दौरान भी देवभूमि के धामों की यात्रा कर पुण्य लाभ अर्जित करें। महाराज ने कहा कि मुखबा, खरसाली,ऊखीमठ और जोशीमठ क्रमशः मां गंगा,मां यमुना,भगवान केदारनाथ और श्री बद्रीविशाल के शीतकालीन पूजास्थल हैं,जहां पूरे शीतकाल में श्रद्धालु पूजन-दर्शन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के अगले ही दिन भैया दूज के पर्व पर यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद होंगे। सतपाल महाराज ने कहा कपाट बंद होना श्रद्धा का विराम नहीं,बल्कि भक्ति के नए अध्याय की शुरुआत है। मां गंगा का आशीर्वाद हमारे प्रदेश और देश पर सदा बना रहे। देवभूमि की हिमालयी वादियों में इस समय मां गंगा के मुखबा प्रस्थान की तैयारियां चरम पर हैं,जहां भक्ति,परंपरा और संस्कृति का अनुपम संगम एक बार फिर देखने को मिलेगा। हर ओर गूंज रहा है,जय मां गंगे,हर हर गंगे।