
हिमालय टाइम्स गबर सिंह भंडारी
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग पौड़ी द्वारा सेंट थॉमस कॉन्वेंट स्कूल,पौड़ी में एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नोडल अधिकारी डॉ.आशीष गुसाईं की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजगता एवं सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर डॉ.आशीष गुसाईं ने इस वर्ष की थीम आपदा और आपातकाल में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे समग्र स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा है। यदि मन अस्वस्थ है,तो शरीर भी स्वस्थ नहीं रह सकता। डॉ.गुसाईं ने बताया कि आज के समय में मानसिक बीमारियां विश्वभर में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। लगभग 90 प्रतिशत आत्महत्याएं किसी न किसी मानसिक बीमारी के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी समान प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तनाव,अवसाद,चिंता या नकारात्मक सोच व्यक्ति के जीवन की गति को प्रभावित करती है,जिससे व्यवहार,नींद,रक्तचाप और प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी असर पड़ता है। इनसे बचाव हेतु उन्होंने छात्रों को योग,ध्यान,प्राणायाम और संतुलित दिनचर्या अपनाने का सुझाव दिया। डॉ.गुसाईं ने विशेष रूप से बच्चों को संदेश दिया कि तनाव से बचने का सबसे सरल उपाय है सकारात्मक सोच,तंबाकू,शराब व नशे से दूरी,पर्याप्त नींद,खेलकूद में भागीदारी और अपने परिवार एवं मित्रों के साथ संवाद। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में अचानक परिवर्तन दिखाई दे,तो उसे नजर अंदाज न करें,बल्कि किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। कार्यक्रम में एनसीडी कंसल्टेंट स्वेता गुसाईं ने छात्रों को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और जिला चिकित्सालय पौड़ी में संचालित एनसीडी क्लिनिक की सेवाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य सहायता हेतु टेली मानस टोल-फ्री नंबर-14416 का भी परिचय कराया,जिस पर कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क परामर्श प्राप्त कर सकता है। विद्यालय के फादर जीजो पैलाथिंकल,प्रधानाचार्य सिस्टर सौमिनी,वंदना मुदगिल,मनमोहन देवली और शकुंतला नेगी ने भी कार्यक्रम में सहयोग दिया। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सक्रिय सहभागिता दिखाते हुए मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न पूछे और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ.आशीष गुसाईं ने विद्यार्थियों से कहा कि मन की शांति ही जीवन की असली समृद्धि है,इसलिए अपने मन की सुनें,अपनी भावनाओं को साझा करें और हर परिस्थिति में सकारात्मक बने रहें। यह जागरूकता कार्यक्रम न केवल जानकारीपूर्ण रहा बल्कि विद्यार्थियों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक नई संवेदना और सजगता भी उत्पन्न कर गया।