
हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। पवित्र श्रीक्षेत्र के श्री कटकेश्वर धाम घस्यिमहादेव में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के सप्तम दिवस पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा आयोजन कर्ता एवं मुख्य यजमान रमेश गिरि,मंहत महेश गिरि,विनीत गिरि,हरीश गिरि तथा कुल पुरोहित गिरि परिवार के पंडित रवि बहुगुणा के कर-कमलों द्वारा दिव्य अनुष्ठान संपन्न कराया गया। व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य श्रद्धेय मधुसूदन घिल्डियाल ने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में कहा कि निर्मल मन,सत्य और श्रद्धा ही ईश्वर प्राप्ति के तीन मुख्य सूत्र हैं। जब मनुष्य का जीवन सत्य और सदमार्ग पर चलता है,तभी वह भगवान की कृपा का पात्र बनता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने मनुष्य को कर्मों की स्वतंत्रता दी है जैसा कर्म करेगा,वैसा फल पाएगा। आचार्य ने तारकासुर के तीन पुत्रों तारकाक्ष,विद्युन्माली और कमलाक्ष की कथा सुनाते हुए बताया कि जब तक वे मर्यादा में रहे,तब तक भगवान शिव भी उन्हें नहीं मार सके। किंतु जब वे अहंकार और अधर्म के मार्ग पर चले गए,तब उनका विनाश हुआ। इससे यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को कभी धर्म और मर्यादा से विमुख नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा राम कृपा बिनु सुलभ न सोहि,अर्थात भगवान की कृपा बिना कुछ भी संभव नहीं है। व्यक्ति को अपने कर्मों से ही वह पुण्य अर्जित करना चाहिए जो इस लोक और परलोक दोनों में कल्याणकारी हो। कथा का सार प्रस्तुत करते हुए आचार्य घिल्डियाल जी ने कहा यतो धर्म,ततो जय,जहां धर्म है,वहीं विजय है। कथा के दौरान वातावरण हर हर महादेव के जयघोषों से गूंज उठा। कार्यक्रम में नगर निगम श्रीनगर गढ़वाल की मेयर आरती भंडारी,पार्षद वार्ड 10 आशीष नेगी,गुड्डी देवी गैरोला,नरेश नौटियाल, विभोर बहुगुणा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। भक्तों ने कहा कि ऐसी पवित्र कथाएं न केवल धार्मिक आस्था को गहराई देती हैं,बल्कि समाज को भी मर्यादा,धर्म और कर्म के महत्व का संदेश देती हैं।