
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
कीर्तिनगर/श्रीनगर गढ़वाल। क्षेत्र में बिजली उपभोक्ताओं के बीच इन दिनों स्मार्ट मीटर और प्रीपेड सिस्टम को लेकर जबरदस्त असंतोष उभरकर सामने आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बढ़ते बिजली बिलों और मीटर लगाने की जबरन प्रक्रिया से जनता में नाराजगी चरम पर पहुंच गई है। सर्व सामाजिक संगठन के अध्यक्ष गम्मा सिंह ने स्मार्ट मीटर योजना को गरीब और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए एक नई विपत्ति बताया है। उन्होंने कहा कि जब से स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं,बिजली बिलों में कई गुना इजाफा देखा जा रहा है। गम्मा सिंह ने सवाल उठाया कि जब कई गांवों में बिजली आपूर्ति ही नियमित नहीं है,तो वहां प्रीपेड मीटर लगाने का औचित्य क्या है,गरीब और किसान पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं,ऊपर से यह स्मार्ट नीति उनके लिए नया बोझ बन गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऊर्जा निगम ने उपभोक्ताओं की अनुमति के बिना उनके घरों में स्मार्ट मीटर लगाए,जो पूरी तरह अनुचित है। उपभोक्ताओं की गैरहाजिरी में मीटर क्यों लगाए जा रहे हैं,यह न केवल गलत है बल्कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन भी है। हम मांग करते हैं कि ऐसे सभी मीटरों को तत्काल हटाया जाए,गम्मा सिंह ने चेतावनी भरे स्वर में कहा। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जहां 200 से 300 रुपये तक का मासिक बिल आता था,वहीं अब यह 700 से 1000 रुपये तक पहुंच गया है। कई उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रीपेड सिस्टम के तहत रकम कटने के बाद भी बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है और शिकायतों पर विभागीय अधिकारी कोई ध्यान नहीं देते। सामाजिक संगठनों और ग्रामीण जनता ने सरकार तथा यूपीसीएल से इस नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ और स्मार्ट मीटर योजना वापस नहीं ली गई,तो ऊर्जा निगम के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ा जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद न केवल बिल बढ़े हैं,बल्कि रीडिंग और कटौती में पारदर्शिता भी खत्म हो गई है। लोगों की यह नाराजगी अब पूरे गढ़वाल मंडल में गूंज रही है, और सरकार व विभाग दोनों से एक ही मांग उठ रही है हमें स्मार्ट मीटर नहीं स्मार्ट व्यवस्था चाहिए जो गरीब और ग्रामीण उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखे। अंत में ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द राहत नहीं मिली तो जनता अब अपनी स्मार्ट रणनीति से सरकार को जवाब देगी।