
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल का भौतिकी विभाग एक बार फिर वैश्विक स्तर पर अपनी वैज्ञानिक पहचान दर्ज कराने जा रहा है। विभाग द्वारा दिनांक 13 से 15 अक्टूबर 2025 तक हिमालयी क्षेत्र में एरोसोल वायु गुणवत्ता एवं जलवायु परिवर्तन विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में देश के कोने-कोने से लगभग 500 वैज्ञानिक,प्राध्यापक,शोधार्थी और विद्यार्थी भाग लेने जा रहे हैं। संगोष्ठी के संयोजक प्रो.त्रिलोक चंद्र उपाध्याय और समन्वयक डॉ.आलोक सागर गौतम ने बताया कि यह सम्मेलन विश्वविद्यालय और डीएचआर-आईसीएमआर मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू),वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान श्रीनगर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन में लगभग 20 विषयगत सत्र (थीमेटिक सेशन) होंगे,जिनमें वैज्ञानिक समुदाय एरोसोल,वायु गुणवत्ता,जलवायु परिवर्तन,पर्यावरणीय स्थिरता,औषधीय पौधों,कृषि,पारंपरिक ज्ञान,कृत्रिम बुद्धिमत्ता,मशीन लर्निंग तथा सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगा। संगोष्ठी के आयोजकों ने बताया कि हिमालय केवल भौगोलिक इकाई नहीं,बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की जल,जलवायु और जैव विविधता का जीवन स्रोत है। बदलते मौसम पैटर्न,बढ़ते एरोसोल प्रदूषण और अनियंत्रित शहरीकरण से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए संगोष्ठी एक साझा मंच के रूप में कार्य करेगी,जहां वैज्ञानिक,शोधकर्ता और नीति-निर्माता अपने अनुभव,डेटा और शोध निष्कर्ष साझा करेंगे। हर सत्र में विशेषज्ञ अपने अनुसंधान,प्रायोगिक निष्कर्ष और भावी दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर प्रतिभागियों को नवीनतम तकनीकी प्रवृत्तियों से अवगत होने के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय अनुसंधान की दिशा में नई राहें तलाशने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले प्रेरणादायी व्यक्तित्वों को सम्मानित भी किया जाएगा। आयोजकों का मानना है कि यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी केवल एक शैक्षणिक मंच नहीं,बल्कि हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण,सामाजिक जागरूकता और सतत विकास के लिए एक प्रेरक अभियान सिद्ध होगी। इससे न केवल शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को नवीन अनुसंधान की दिशा मिलेगी,बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में पर्यावरणीय चेतना,सामूहिक उत्तरदायित्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी प्रोत्साहन मिलेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन और आयोजक मंडल का विश्वास है कि यह संगोष्ठी हिमालयी क्षेत्र की वैज्ञानिक समझ को नई दिशा देने के साथ-साथ स्थानीय से वैश्विक स्तर तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करेगी। श्रीनगर की सुरम्य घाटियों में होने वाला यह सम्मेलन,निश्चय ही आने वाले समय में हिमालयी अनुसंधान और सतत विकास के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा।