राजकीय नर्सिंग कॉलेज डोभ श्रीकोट में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस एवं पैलिएटिव केयर दिवस

हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। स्वास्थ्य विभाग पौड़ी द्वारा आज राजकीय नर्सिंग कॉलेज डोभ श्रीकोट में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस एवं पैलिएटिव केयर दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

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हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी

पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। स्वास्थ्य विभाग पौड़ी द्वारा आज राजकीय नर्सिंग कॉलेज डोभ श्रीकोट में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस एवं पैलिएटिव केयर दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.शिव मोहन शुक्ला ने की। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम मैं जो लड़की हूं,मैं जो बदलाव लाती हूं: संकट के अग्रिम मोर्चे पर लड़कियां रही,जिसके अंतर्गत बालिकाओं की शक्ति,क्षमता और समाज में उनके नेतृत्व की भूमिका पर प्रेरक विचार साझा किए गए। मुख्य अतिथि डॉ.शिव मोहन शुक्ला ने सभी को बालिका दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज की बेटियां हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं। समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए हमें पहले अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। जब तक हम महिलाओं और बालिकाओं के प्रति समानता का दृष्टिकोण नहीं अपनाएंगे,तब तक वास्तविक प्रगति संभव नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सरकारी प्रयासों और जन-जागरूकता अभियानों के चलते समाज में बालिकाओं को लेकर फैली भ्रांतियां कम हो रही हैं। आज की बेटियां ऊर्जा,साहस और आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं,अतः परिवार और समाज का कर्तव्य है कि उन्हें आगे बढ़ने का पूरा अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बालिकाओं को उनकी रुचि के अनुसार कार्यक्षेत्र चुनने की स्वतंत्रता दें और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करें। कार्यक्रम के समन्वयक पीसीपीएनडीटी प्रभारी आशीष रावत ने छात्राओं को पीसीपीएनडीटी अधिनियम,उनके कानूनी अधिकार,स्वास्थ्य एवं शिक्षा से संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक अपराधों के प्रति जागरूक रहने और समाज में इसकी रोकथाम हेतु सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश दिया। कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी डॉ.अलीशा ने पैलिएटिव केयर (आरामदायक चिकित्सा देखभाल) के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पैलिएटिव केयर केवल चिकित्सकों या नर्सों की जिम्मेदारी नहीं,बल्कि हर व्यक्ति की मानवीय जिम्मेदारी है। किसी भी लाइलाज या गंभीर रोग से जूझ रहे व्यक्ति को सहानुभूति,संवाद और देखभाल के माध्यम से मानसिक व शारीरिक राहत दी जा सकती है। उन्होंने कैंसर पीड़ित मरीजों के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे एक नर्सिंग अधिकारी न केवल उपचार में सहयोग करती है,बल्कि मरीज और उसके परिवार को मानसिक संबल भी प्रदान करती है। डॉ.अलीशा ने नर्सिंग विद्यार्थियों को अस्पतालों में जाकर पैलिएटिव केयर से जुड़ी सेवाओं में सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान कन्या भ्रूण हत्या विषय पर भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया,जिसमें प्रथम वर्ष के आयुष कांत ने प्रथम स्थान,द्वितीय वर्ष की प्रेरणा ने द्वितीय स्थान तथा दिया कंडारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ.मीनू,ट्यूटर शिवानी,मुकेश,निखिल,स्वेता गुसाई,शकुंतला नेगी,कोमल एवं अभिषेक सहित अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम न केवल बालिकाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण का संदेश लेकर आया,बल्कि जीवन के प्रति संवेदना और सेवा के भाव को भी प्रखरता से प्रस्तुत करता है।

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