

हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी जनपद के अंतर्गत विकासखंड पाबों स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौरखाल ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। विद्यालय की टीम ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर पूरे उत्तराखंड का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। यह प्रतियोगिता साइबर सुरक्षित भारत विषय पर भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के अवसर पर आयोजित की गई थी। गौरतलब है कि अक्टूबर माह को विश्वभर में साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। विद्यालय की टीम ने अपने सशक्त और प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह संदेश दिया कि डिजिटल युग में सतर्कता और सजगता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है। नाटक में विद्यार्थियों ने ऑनलाइन ठगी,डिजिटल धोखाधड़ी से बचाव,जिम्मेदार इंटरनेट उपयोग तथा साइबर साक्षरता जैसे विषयों को अत्यंत सहज,रोचक और प्रेरक ढंग से प्रस्तुत किया। विद्यालय को इस राष्ट्रीय उपलब्धि के लिए यूनिक आई.डी.नंबर एन.एन.06130 के अंतर्गत चयनित किया गया। इस सफलता के पीछे विद्यालय के मार्गदर्शक डॉ.अतुल बमराड़ा का दूरदर्शी नेतृत्व और निर्देशन रहा,जिन्होंने बच्चों को साइबर सुरक्षा के व्यावहारिक पहलुओं को रचनात्मक रूप में प्रस्तुत करने की प्रेरणा दी। वहीं विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नंदा रावत ने निरंतर प्रोत्साहन और सहयोग देकर विद्यार्थियों में आत्मविश्वास का संचार किया। डॉ.बमराड़ा ने कहा साइबर युग में बच्चों को डिजिटल तकनीक का उपयोग तो सिखाना ही होगा,पर उससे अधिक आवश्यक है उन्हें उसका सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग सिखाना। यही उद्देश्य इस नाट्य प्रस्तुति का मूल भाव रहा। प्रधानाध्यापिका रावत ने इस उपलब्धि को विद्यालय परिवार,अभिभावकों और शिक्षकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय भी यदि उचित मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त करें,तो राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ सकते हैं। विद्यालय के इस उल्लेखनीय प्रदर्शन से पूरे जनपद में हर्ष और गर्व का माहौल है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों,अभिभावकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विद्यालय परिवार को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। यह उपलब्धि न केवल चौरखाल विद्यालय के लिए गर्व की बात है,बल्कि यह समूचे उत्तराखंड के लिए प्रेरणास्रोत भी है जो यह संदेश देती है कि छोटे गांवों से भी बड़ी उपलब्धियाँ जन्म ले सकती हैं।