
हिमालय टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड के भौतिकी विभाग द्वारा हिमालयी क्षेत्र में एरोसोल,वायु गुणवत्ता एवं जलवायु परिवर्तन पर तृतीय बहुविषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी IMCAAC-2025 का शुभारंभ सोमवार 13 अक्टूबर 2025 को विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित स्वामी मन्मथन सभागार में भव्य रूप से हुआ। तीन दिवसीय यह वैज्ञानिक सम्मेलन हिमालयी पारिस्थितिकी,जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संतुलन जैसे गंभीर मुद्दों पर वैज्ञानिक,तकनीकी एवं सामाजिक विमर्श का उत्कृष्ट मंच प्रदान कर रहा है। विश्वविद्यालय के विज्ञान,जीवन विज्ञान,कृषि एवं संबद्ध विज्ञान,पृथ्वी विज्ञान,शिक्षा,अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी,मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान तथा कला,संचार एवं भाषा स्कूलों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्देश्य विविध वैज्ञानिक विषयों के शोधकर्ताओं,शिक्षाविदों एवं नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच पर लाना है,ताकि हिमालय क्षेत्र में हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तनों पर समग्र दृष्टिकोण से विचार-विमर्श किया जा सके। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल,के.सी.एस.सी,वी.एस.एम.अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक कल्याण परामर्श समिति एवं संस्थापक,यूथ फाउंडेशन उत्तराखंड रहे। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिमालय हमारी जीवनरेखा है,इसका संरक्षण केवल वैज्ञानिकों का नहीं,हर नागरिक का दायित्व है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण,जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता के संरक्षण में युवाओं की सक्रिय भागीदारी पर विशेष बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रतिनिधि प्रो.एन.एस.पंवार ने की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बहुविषयक अनुसंधान की दिशा में नए अवसर खोलती है,और IMCAAC-2025 उसी भावना को व्यवहार में उतारने का प्रयास है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने अनुसंधान को समाज और पर्यावरण की वास्तविक आवश्यकताओं से जोड़ें। इस अवसर पर डॉ.जगवीर सिंह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एवं डॉ.विजय कुमार सोनी भारत मौसम विज्ञान विभाग ने एरोसोल,वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर अपने शोध-आधारित विचार साझा किए। दोनों वैज्ञानिकों ने हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते तापमान,ग्लेशियरों के पिघलने और वायु प्रदूषण की बढ़ती मात्रा को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने के लिए स्थानीय स्तर पर दीर्घकालिक अनुसंधान और वैज्ञानिकों के बीच समन्वय आवश्यक है। सम्मेलन के संयोजक प्रो.टी.सी.उपाध्याय ने बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 20 से अधिक विषयगत सत्र होंगे,जिनमें एरोसोल विज्ञान,पर्यावरणीय स्थिरता,जीवन विज्ञान,औषधीय पौधे,कृत्रिम बुद्धिमत्ता,पारंपरिक ज्ञान प्रणाली,ऊर्जा संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन जैसे विविध विषयों पर चर्चा होगी। डॉ.आलोक सागर गौतम,आयोजन सचिव एवं समन्वयक ने कहा कि अब ज्ञान किसी एक विषय तक सीमित नहीं रहा। विज्ञान,समाज,पर्यावरण और तकनीक का समन्वय ही सतत विकास की कुंजी है। उन्होंने उत्तराखंड के संदर्भ में कहा कि राज्य की ऊंचाई आधारित जलवायु विविधता,भौगोलिक जटिलता और पारिस्थितिक संवेदनशीलता इसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। अतः पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय राज्य के सतत विकास की दिशा तय कर सकता है। सम्मेलन में भारत सहित विभिन्न देशों के 500 से अधिक वैज्ञानिक,शोधार्थी,शिक्षाविद् और विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागियों में आईआईटी,एनपीएल,आईएमडी,इसरो,आईआईटीएम,नीरी तथा देश के कई विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इस सम्मेलन में डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून,श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग,डॉ.भीमराव अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय मैनपुरी,म्युनिसिपल स्नातकोत्तर महाविद्यालय,मसूरी,ए.पी.बी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि तथा डीएचआर-आईसीएमआर बहुविषयक अनुसंधान इकाई एमआरयू,वी.सी.एस.जी.आयुर्विज्ञान संस्थान श्रीनगर की सक्रिय सहभागिता रही। स्थानीय आयोजन समिति में प्रो.आर.सी.रमोला,प्रो.टी.सी.उपाध्याय,डॉ.आलोक सागर गौतम सहित विश्वविद्यालय के अनेक विभागों के संकाय सदस्य सक्रिय रूप से सम्मेलन के संचालन में सहयोग कर रहे हैं। आईआईटीएम पुणे के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सुरेश तिवारी ने कहा कि IMCAAC जैसे मंच वैज्ञानिकों को नवीन प्रयोगों,तकनीकी नवाचारों और वैश्विक दृष्टिकोण से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सभागार में प्रो.आर.सी.रमोला विभागाध्यक्ष भौतिकी विभाग,प्रो.आर.एस.नेगी निदेशक चौरास परिसर सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन भौतिकी विभाग के शोधार्थियों ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विनीत कुमार मौर्य ने प्रस्तुत किया। सतत विकास और हिमालय की सुरक्षा का संकल्प-IMCAAC-2025 केवल एक वैज्ञानिक सम्मेलन नहीं,बल्कि यह हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण,पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास की दिशा में एक सशक्त पहल है। यह आयोजन न केवल शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा दे रहा है,बल्कि समाज में विज्ञान आधारित पर्यावरणीय चेतना के प्रसार का भी सेतु बन रहा है।