
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। शिक्षा के साथ सेवा और सहयोग की भावना का अनूठा उदाहरण आगामी 18 अक्टूबर 2025 को जनपद पौड़ी गढ़वाल के राजकीय इंटर कॉलेज मरखोडा खिर्सू में देखने को मिलेगा। अरण्यक जन सेवा संस्था द्वारा विद्यालय के छात्र-छात्राओं को ट्रैक-सूट,लेखन सामग्री,बिस्कुट और जूस वितरित किए जाएंगे। विद्यालय में इस विशेष अवसर पर एक सामूहिक प्रेरणात्मक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा,जिसमें क्षेत्र पंचायत सदस्य,ग्राम प्रधान,स्थानीय जनप्रतिनिधि,विद्यालय परिवार और अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। विद्यालय के प्रधानाचार्य कैलाश पुंडीर ने बताया कि सभी अभिभावकों व समाजसेवियों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। समाजसेवी राजेश अग्रवाल जैसे व्यक्तित्व जब शिक्षा से जुड़ते हैं,तो शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान नहीं बल्कि संवेदना भी बन जाता है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष गबर सिंह भण्डारी ने कहा कि श्रीनगर क्षेत्र की कई संस्थाएं समय-समय पर इसी तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को सहयोग करती रही हैं। उन्होंने कहा कि अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आकर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु गरीब बच्चों को लेखन सामग्री,कपड़े,ट्रैक-सूट,जूते,बैग आदि उपलब्ध कराने चाहिए। जब समाज के सभी वर्ग सहयोग करते हैं,तो अभिभावक अपने बच्चों को निश्चिंत होकर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए प्रेरित होते हैं। अरण्यक जन सेवा संस्था की यह पहल ग्रामीण शिक्षा और सामाजिक भागीदारी की दिशा में सराहनीय कदम मानी जा रही है। समाजसेवी राजेश अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि ग्रामीण भारत का हर बच्चा अपार क्षमता रखता है। बस जरूरत है उन्हें प्रोत्साहन और अवसर देने की,ताकि वे अपनी प्रतिभा से समाज और देश का नाम रोशन कर सकें। अरण्यक जन सेवा संस्था के सचिव इन्द्र दत्त रतूड़ी ने कहा कि संस्था का उद्देश्य केवल सहायता वितरण नहीं,बल्कि समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता और सहयोग की भावना को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि जब समाज शिक्षा से जुड़ता है,तो परिवर्तन स्वतः ही जन्म लेता है। रतूड़ी ने बताया कि संस्था भविष्य में भी ग्रामीण विद्यालयों में इसी तरह के शैक्षिक व प्रेरणात्मक कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित करती रहेगी,ताकि हर बच्चे तक अवसर और उत्साह दोनों पहुंच सके। ग्राम मरखोडा और विद्यालय परिसर में इस आयोजन को लेकर उत्साह और हर्ष का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहल न केवल बच्चों के मनोबल को बढ़ाएगी बल्कि समाज को भी यह संदेश देगी कि शिक्षा ही वास्तविक सेवा है। विशेष-ग्रामीण विद्यालयों में संसाधनों की कमी आज भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में समाजसेवी संगठनों का इस तरह आगे आना वास्तव में परिवर्तन की ओर उठाया गया सशक्त कदम है। जब समाज,शिक्षण संस्थान और अभिभावक एकजुट होकर बच्चों के भविष्य की नींव रखते हैं तब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती,बल्कि मानवता और विकास का उत्सव बन जाती है।