
हिमालय टाइम्स
गबर सिंह भण्डारी
नई दिल्ली/देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रवास में रहकर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पत्रकारिता और उद्यमिता कर रहे उत्तराखंडी यूट्यूबर,पोर्टल संचालक और छोटे-मझोले उद्यमियों को अपने हितों की रक्षा,विस्तार और उत्तराखंड की अस्मिता को बनाए रखने के लिए दो सशक्त संगठनों की स्थापना अत्यंत आवश्यक है। वे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय चाय पर चर्चा कार्यक्रम में प्रवासी पत्रकारों, यूट्यूबरों और उद्यमियों से संवाद कर रहे थे। इस मौके पर दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में सक्रिय बड़ी संख्या में उत्तराखंडी पत्रकार,समाजसेवी और व्यवसायी उपस्थित रहे। रावत ने कहा आप सब मिलकर एक साझा मंच बनाइए। जब आप एक बैनर के तहत एकजुट होंगे,तभी आपकी आवाज सरकार तक पहुंचेगी और उत्तराखंड की पहचान देशभर में और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में छोटे समाचार पोर्टलों और डिजिटल मीडिया को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी,जिसे आगे बढ़ाना जरूरी है। कार्यक्रम में प्रवासी पत्रकारों ने उत्तराखंड सरकार द्वारा विज्ञापन वितरण नीति में भेदभाव और छोटे समाचार माध्यमों की उपेक्षा का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया। इस पर हरीश रावत ने कहा कि वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस विषय पर वार्ता कर समाधान निकालने की पहल करेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरिपाल रावत ने कहा कि छोटे और मझोले वर्ग के पत्रकारों व उद्यमियों की समस्याएं पूरी तरह जायज हैं,परंतु राज्य की डबल इंजन सरकार बड़े उद्योगपतियों के हित में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रवासी पत्रकारों और उद्यमियों को संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी होगी। इस मौके पर उत्तराखंडी उत्पादकों और व्यवसायियों ने कहा कि वे प्रदेश के पारंपरिक उत्पाद जैसे कोदा,मंडुवा,बड़ी,झंगोरा,स्थानीय मसाले और व्यंजन को देशभर में प्रसारित कर रहे हैं,जिससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल रही है। कार्यक्रम में नरी रावत,जीवंती बिष्ट,लक्ष्मी बिष्ट,राकेश रावत,मुस्कान भंडारी,संजय चौहान,हरीश लखेड़ा,कुशाल जीना,दीप सिलौड़ी,योगेश भट्ट,अमरचंद,निम्मी ठाकुर,सतेंद्र राठौर,पंकज बिष्ट सहित बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी उपस्थित रहे। रावत ने कहा दिल्ली जैसे महानगर में रहकर उत्तराखंड की पहचान को जीवित रखना आसान नहीं है,लेकिन हमारे प्रवासी पत्रकार और उद्यमी यह कार्य समर्पण से कर रहे हैं। सरकार और समाज दोनों को इनकी आवाज सुननी चाहिए। कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड की अस्मिता,सहयोग और स्वाभिमान की रक्षा के सामूहिक संकल्प के साथ हुआ।