सनातन चेतना की ओर राष्ट्र का संकल्प: आर्यावर्त परिषद का अभियान

जब कोई राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना से जुड़ता है, तभी वह संगठित, सशक्त और समरस बनता है। इसी उद्देश्य को लेकर आर्यावर्त विश्व सनातन विकास परिषद एक राष्ट्रव्यापी सनातन जागरण अभियान चला रही है,
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हिमालय टाइम्स | रिपोर्टर: गबर सिंह भंडारी | श्रीनगर गढ़वाल

जब कोई राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना से जुड़ता है, तभी वह संगठित, सशक्त और समरस बनता है। इसी उद्देश्य को लेकर आर्यावर्त विश्व सनातन विकास परिषद एक राष्ट्रव्यापी सनातन जागरण अभियान चला रही है, जिसका संकल्प है — “हर दिल में सनातन, हर गांव में धर्म चेतना।”

परिषद का नेतृत्व कर रहे परम पूज्य स्वामी श्री श्री 1008 आशीषकृष्ण नंद आचार्य महाराज,जिन्हें आध्यात्मिक ध्रुवतारा कहा जाता है, का स्पष्ट मानना है कि “सनातन केवल धर्म नहीं, यह जीवन का प्राण है।” उनके नेतृत्व में परिषद हर राज्य, हर जिले और गांव तक पहुंच बना रही है ताकि युवाओं को वेद, उपनिषद, गीता, रामायण और भारतीय गौरवगाथाओं से जोड़ा जा सके।

श्रद्धा और संगठन की संयुक्त प्रेरणा

परिषद की आध्यात्मिक प्रेरणा ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के विचारों से प्राप्त होती है। स्वामी फलारी महाराज के संरक्षण में परिषद के कार्यों को प्रभावी दिशा मिली है, जिससे संगठन और अधिक सुव्यवस्थित हो सका है।

तेजी से फैलता सनातन जन-जागरण नेटवर्क

कार्यकारी अध्यक्ष सनातन धर्म रक्षक कृष्णकांत महाराज के नेतृत्व में परिषद की शाखाएं, प्रचार वाहन और कार्यालय पूरे देश में सक्रिय रूप से फैलाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय सनातन चेतना यात्रा को संत समाज, पुरोहित वर्ग, युवाओं और महिलाओं से अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त हो रहा है।

धर्म और रोजगार का संतुलन यह संगठन केवल धार्मिक जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कृति आधारित रोजगार, सनातन सेवा केंद्रों, रोजगार, सनातन सेवा केंद्रों, और आजीविका के साधनों के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की दिशा में भी कार्य कर रहा है। जब संत, विद्वान, डॉक्टर, अधिवक्ता, समाजसेवी, मातृशक्ति और युवा एक साथ आते हैं, तब वह धर्म आंदोलन नहीं, एक राष्ट्रीय चेतना का जागरण बनता है।

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