श्रावण संध्या पर तैलेश्वर धाम में भक्ति की अनुपम छटा, संगीतमय सुंदरकांड पाठ से गूंजीं घाटियां

📍 श्रीनगर गढ़वाल | 15 जुलाई 2025रिपोर्ट: गबर सिंह भण्डारी | स्रोत: हिमालय टाइम्स श्रावण मास की पुण्य संध्या पर उत्तराखंड की शांत वादियों में स्थित तैलेश्वर धाम भक्ति, संगीत और अध्यात्म के अद्वितीय

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📍 श्रीनगर गढ़वाल | 15 जुलाई 2025रिपोर्ट: गबर सिंह भण्डारी | स्रोत: हिमालय टाइम्स

श्रावण मास की पुण्य संध्या पर उत्तराखंड की शांत वादियों में स्थित तैलेश्वर धाम भक्ति, संगीत और अध्यात्म के अद्वितीय संगम का साक्षी बना। मंगलवार को विकासखंड खिर्सू के ग्राम सरणा में आयोजित 75वां संगीतमय सुंदरकांड पाठ श्रद्धा, सेवा और संस्कृति के त्रिवेणी संगम में तब्दील हो गया।श्रीराम जय राम जय जय राम के उद्घोष और प्राचीन मंदिर की घंटियों की गूंज जैसे ही गौल्क्षया पर्वत की तलहटी में फैली, वातावरण में भक्ति की लहरें तैर उठीं।इस भव्य आयोजन को तैलेश्वर मंदिर समिति, नवयुवक मंगल दल, महिला मंगल दल और कड़क सेवा दल ने संयुक्त रूप से सम्पन्न कराया। श्रद्धालुओं ने इसे एक आध्यात्मिक पर्व के रूप में आत्मसात किया।🎶 भावविभोर कर गया सुंदरकांड पाठमुख्य प्रस्तुति में संजय घिल्डियाल, भगवती सिंह कठैत, शैलेन्द्र रावत, हरिकृष्ण नौटियाल, और अन्य लोक कलाकारों ने सुंदरकांड की चौपाइयों और भजनों को ऐसी तन्मयता से प्रस्तुत किया कि पूरा मंदिर परिसर भक्तिरस से सराबोर हो गया।”राम नाम की महिमा न्यारी, तन-मन शुद्ध करे संसारी” जैसे भजनों ने आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माहौल रच दिया।🌸 लोक संस्कृति, सेवा और सम्मान का संगमदूर-दराज से आए श्रद्धालुओं का स्वागत श्रीराम पटका पहनाकर किया गया, जबकि कड़क सेवा दल को मंदिर समिति द्वारा शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।महिला मंगल दल की लोक प्रस्तुतियों ने आयोजन को सांस्कृतिक गरिमा भी प्रदान की।🌿 धर्म और प्रकृति का संगमकार्यक्रम के समापन पर श्रद्धालुओं को पारंपरिक बुंदी प्रसाद वितरित किया गया। इसके साथ ही बेलपत्री और फलदार पौधों का वृक्षारोपण भी किया गया, जो धर्म और पर्यावरण के समन्वय का प्रेरणास्पद संदेश था।🙏 गरिमामयी उपस्थितिइस पावन अवसर पर तैलेश्वर महादेव मंदिर के संचालक शंकर सिंह भण्डारी, विधायक प्रतिनिधि अनिल भंडारी, पूर्व प्रधान बृजमोहन बहुगुणा, ऋषिकुल सेवा आश्रम के पारस चौहान, तथा अन्य गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।आचार्य अमलानंद जुयाल संस्कृत विद्यालय बलोड़ी के ऋषिकुमारों की सहभागिता ने आयोजन को विशेष आध्यात्मिक आयाम प्रदान किया।🌿 तैलेश्वर धाम की यह भक्तिमयी संध्या न केवल एक धार्मिक आयोजन रही, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक एकता और पर्यावरणीय चेतना का प्रेरक उदाहरण बन गई है।

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