ब्यूरो रिपोर्ट | दैनिक हिमालया टाइम्स | 13 जुलाई 2025
उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) एक बार फिर जनता से सीधे जुड़ने की तैयारी में है। पार्टी के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी और अन्य प्रमुख नेताओं ने ऐलान किया है कि 1 अगस्त 2025 से प्रदेशभर में जनसंवाद यात्रा की शुरुआत की जाएगी। यह यात्रा आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा होगी, जिसमें पार्टी जनता से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याएं सुनने और समाधान के लिए रणनीति बनाने का काम करेगी।
पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट – प्रदेश मे जिस तरह जनता का रुझान पार्टी के प्रति आ रहा है उसको देखते हुए पार्टी ने तय किया की हम एक जन संवाद प्रदेश वासियो से करे और युवा वर्ग को अपने साथ जोड़ने का भी काम करांगे, काशी सिंह ऐरा, ने कहा कि अब समय आ गया है जब जनता से सीधा संवाद कर उनकी उम्मीदों और तकलीफों को समझा जाए। “हमारा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरना है,” पूर्व उपाध्यक्ष UKD ललित बिष्ट – 25 वर्ष से उत्तराखंड मे जो परिसंपत्ति विवाद चल रहा है उस ठोस निर्णय लिया जाएगा ,पार्टी को मजबूत करने के लिए और युवाओं को साथ लेकर चलना प्राथमिकता रहेगी और विश्वविद्यालयो मे भी पार्टी अस्तर पर यूथ से चुनाव लड़ाया जाएगा ,
यह जनसंवाद यात्रा उत्तराखण्ड के सभी जिलों, ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों तक जाएगी। पार्टी का फोकस मुख्य रूप से बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे की कमी और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की रणनीति जैसे अहम मुद्दों पर रहेगा।
UKD नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी भी दल के खिलाफ नहीं, बल्कि जनता के हक में होगा। इस यात्रा के माध्यम से पार्टी अपने पुराने जनाधार को फिर से मजबूत करने का प्रयास करेगी और युवाओं को भी सक्रिय रूप से जोड़ने की योजना बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक, जनसंवाद यात्रा धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैलेगा। इसके लिए एक विस्तृत रूट मैप और कार्ययोजना तैयार की जा रही है। यात्रा के दौरान जनसभाएं, गांव स्तर पर चौपाल, और नागरिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उत्तराखंड क्रांति दल यह संदेश देना चाहता है कि वह अभी भी उत्तराखंड के जनहित से जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से कार्य कर रहा है और 2027 के चुनावों में एक सशक्त विकल्प बनकर उभरेगा।
प्रदेशवासियों में भी इस घोषणा को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर युवाओं और उन लोगों में जो राज्य आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।